थायरॉयड को जड़ से ठीक करें वो भी घरेलू नुस्खों से
हैलो दोस्तों आपका yoghealthbeauty.com ब्लॉग पर स्वागत है। आज हम आपको बतायेंगे कि आप घर पर ही थायरॉंयंड को कैसे ठीक कर सकते हैं और इससे होने वाले दुष्प्रभावों से कैसे बच सकते हैं। वो भी घरेलू नुस्खों से। क्योंकि थायरॉंयड हमें हो भी जाती है और हमें पता भी नहीं चलता। इसको पता करने के लिये ब्लड की जॉंच करवाना जरूरी होता है और आज भी हमारे यहॉं जागरूकता की कमी है वो भी महिलाओं में। महिलायें हम सबका ध्यान रखते-रखते अपना ध्यान नहीं रख पाती। जो लोग समय-समय पर अपने ब्लड की जॉंच करवाते रहते हैं उनको तो समय रहते पता चल जाता है। इसलिए जब भी नीचे दिये गये लक्षणों में से आपको कुछ भी महसूस हो तो अपने ब्लड की जॉंच जरूर करवायें। जब हमारे शरीर में थायरॉयड का लेवल बढ़ता है तो हमें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
थायरॉयड ग्रन्थि एक तितली के आकार की ग्रन्थि होती है। थायरायॅड के दो प्रकार हैंः अतिसक्रियता Hyperthyroidism एवं अल्सक्रियता Hypothyroidism थायरॉयड ग्रन्थि शरीर के अधिकांश मेटाबॉलिक प्रोसेस को नियंत्रित करती है। थायरॉयड ग्रन्थि के ज्यादा या कम मात्रा मे हार्मोन बनने पर अतिसक्रियता Hyperthyroidism एवं अल्सक्रियता Hypothyroidismथायरॉयड की समस्या पैदा होती है। थायरॉयड से स्त्री/पुरूष दोनों को ही पीड़ित हैं। लेकिन अधिकांशतः देखने में आता है कि थायरॉयड से महिलायें ज्यादा पीड़ित होती है। थर्मोरग्यूलेशन, हार्मोनल फंक्शन और वजन नियंत्रण इस ग्रन्थि के कुछ महत्वपूर्ण कार्य है।
- थायरॉयड होने के कारण
- अतिसक्रियता Hyperthyroidism
- अल्पसक्रियता Hypothyroidism
- थायरॉयड के इलाज के प्रकार
- थायरॉयड में कैसी जीवन शैली अपनायें
- निष्कर्ष
थायरॉयड होने के कारण
- भोजन में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने के कारण।
- Stress तनाव होना।
- गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हार्मोन्स का असंतुलित होना।
- पिटयूटरी ग्रन्थि Pituitary ग्रन्थि में किसी समस्या के कारण।
- भोजन में सोया के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।
- सिलेनियम की कमी के कारण (सिलेनियम भी आयोडीन की तरह एक मिनरल होता है)।
- अतिसक्रियता Hyperthyroidism थायरॉयड ग्रन्थि में सूजन की कमी के कारण।
- विटामीन-12 की कमी के कारण।
- थायरॉयड ग्रन्थि में आई गड़बड़ी के कारण थायरॉयड से सम्बन्धित रोग अतिसक्रियता Hyperthyroidism के कारण टी-4 एवं टी 3 हार्मोन का जरूरत से ज्यादा बनने लगता है तो हमारा शरीर ऊर्जा का उपयोग जरूरत से ज्यादा करने को ही हम अतिसक्रियता Hyperthyroidism कहते हैं। प्रायः देखा जाता है महिलाओं में इसकी संख्या पुरूषों के अधिक पायी जाती है।
अतिसक्रियता Hyperthyroidism के लक्षण
- घबराहट
- दिल की धड़कनों का बढ़ना
- चिड़चिड़ापन
- अचानक से अधिक पसीना आना
- हाथो में कंपन महसूस करना
- बालों का झड़ना एवं पतला होना
- अनिद्रा मतलब पर्याप्त नींद ना आना
उपरोक्त के अतिरिक्त ओटियोपोरासिस के कारण हडडियों में कैल्शियम की मात्रा में कमी की वजह से मॉंसपेशियों में हमेंशा दर्द एक खिंचाव सा रहना, बहुत भूख लगने के पश्चात भी हमारा वजन तेजी से कम होने लगता है, थायरॉयड हार्मोन की अधिकता के कारण हमारे शरीर में चयापचय मतलब मेटोबोलिज्म (Metabolism) बढ़ जाने के कारण कार्य करने मे शीघ्रता होने लगती है एवं प्रायः महिलाओं के मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है।
अल्पसक्रियता Hypothyroidism के लक्षण
- घड़कन की गति धीमी होने
- सर्दी महसूस करना, चयापचय मेटाबालिज्म की गति धीमी होने के कारण बहुत तेजी से वजन बढ़ना
- शरीर का हमेंशा आलसी होना
- हर समय ये मन करना कि हम थोड़ा आराम कर लें, लेट जायें
- नाखूनों का पतला होना, त्वचा में सूखापन आना
- बालों का तेजी से झड़ना, याददाश्त कमजोर होना
- हमेंशा कन्फ्यूज्ड रहना आदि
थायरॉयड ग्रन्थि को अवटु ग्रन्थि के नाम से भी जानते हैं। थायरॉयड अथवा अवटु ग्रन्थियॉं हमारे शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी अतस्रावी ग्रन्थियों में एक मानी जाती है। अल्पसक्रियता Hypothyroidism थायरॉयड ग्रन्थि शरीर की अधिकांश मेटाबॉलिक प्रोसेस को नियंत्रित करती है। अल्पसक्रियता Hypothyroidism थायरॉयड ग्रन्थि के ज्यादा या कम मात्रा मे हार्मोन बनने पर थायरॉयड की समस्या पैदा होती है
थायरॉयड का इलाज
जो लोग अतिसक्रियता Hyperthyroidism एवं अल्पसक्रियता Hypothyroidism थायरॉयड की समस्याओं से पीड़ित है, हम इसको घरेलू अपने किचन से इसको नियंत्रित कर सकते है। थायरॉयड का इलाज एलोपैथिक में तो बिल्कुल नहीं है। विश्व में जितने भी एलौपैथिक डाक्टर है, वो सभी दावा कभी नहीं करते है कि थायरॉयड का कोई एकमुश्त इलाज सम्भव है। एलोपैथिक के अनुसार हमें अतिसक्रियता Hyperthyroidism एवं अल्पसक्रियता Hypothyroidismकी गोली जीवन पर्यन्त खानी पड़ती है। एलौपैथिक दवाई खाने से हमारी बीमारी तो कभी भी जड़ से खत्म नहीं होती। लेकिन हम जाने अन्जाने में और दो-चार बीमारियों को और निमत्रंण दे देते हैं।
हमारी अपनी किचन में हैं अतिसक्रियता Hyperthyroidism एवं अल्पसक्रियता Hypothyroidism का इलाज हैं।
अखरोट
अखरोट में Selenium सिलेनियम होता है। थायरॉयड ग्रन्थि के अन्दर भी सिलेनियम होता है। जिस प्रकार थायरॉयड हार्मोन बनाने के लिये आयोडीन की जरूरत होती है उसी प्रकार थायरॉयड हार्मोन बनाने के लिये Selenium सिलेनियम की भी जरूरत होती है। शरीर की सभी कोशिकाओं तक थायरॉयड हार्मोन पहुॅचाने के लिये और कोशिकाओं के द्वारा थायरॉयड हार्मोन का इस्तेमान करने के लिये Seleniumसिलेनियम की जरूरत होती है। अगर आपके शरीर में सिलेनियम की कमी है तो इससे भी आपको थायरॉयड की समस्या हो सकती है। Glutathione Antioxidant सिलेनियम की कमी से Glutathione नाम का एक शक्तिशाली Antioxidant शरीर में अपना काम करना बन्द कर देता है। Glutathione Antioxidant नाम का यह शरीर में सूजन को कम करता है और शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है।
अखरोट खा कर आप अपने सिलेनियम के लेवल को सही कर सकते हैं और अपने थायरॉयड को ठीक कर सकते हैं, 28 ग्राम अखरोट में 5 एम.जी. सेलिनियम होता है। Selenium सिलेनियम खाने से आपकी थायरॉयड ग्रन्थि में आयी सूजन में आराम मिलता है। थायरॉयड को कम करने के लिये दिन में किसी भी समय एक मुट्ठी अखरोट जरूर खायें।
अलसी Flax Seeds
अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ओमेगा-3 थायरॉयड को नियंत्रित करने में मदद करता है। अलसी कोे हल्का भूरे रंग में कढ़ाई में भून लें। भूनने के पश्चात इसको पीस कर चूर्ण बना लें। सुबह-शाम एक से दो चम्मच (Tea Spoon) अपनी क्षमता के अनुसार ले सकते हैं। भोजन करने से एक-दो घण्टा पहले या बाद में लें। भोजन के साथ नहीं खाना चाहिए और ना ही अगर आप कोई सप्लीमेन्ट ले रहे हैं जैसे-कैल्शियम, आयरन दोनो के बीच में थोड़ा अन्दर होना चाहिए। ऐसा करने से आपको थायरॉयड कन्ट्रोल करने में राहत मिलेगी।
साबुत धनिये
एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिया रात को सोने के पहले भीगो दें (कम से 5 घण्टे) प्रात:काल इसको हाथ से या खरल से मसल लें, मसलने के बाद उबाल लें, उबालने के बाद जब पानी एक चौथाई रह जाये तो खाली पेट इसे धीरे-धीरे पी लेें। इसको अपनी दिनचर्या में लाकर हम थायरॉंयड में काफी हद तक राहत पा सकते हैं।
दूध-दही से
दूध एवं दही केे सेवन जितना हो सके करना चाहिए। दूध एवं दही में मौजूद कैल्शियम में अत्यधिक मात्रा में विटामिन्स और मिनरल पाये जाते हैं। जिससे हमें थायरॉंयड में राहत मिलती है।
एप्पल साइडर विनेगर
यह हार्मोन के संतुलित करने में बहुत ही मददगार है। अगर ग्रीन विनेगर हो तो बहुत ही अच्छा होगा। शरीर के वसा को रेग्यूलेट करने, शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालने और पोषक तत्वों के अवशोषण में अत्यन्त ही सहायक और कारगर है। इसे शहद एवं पानी में मिलाकर लिया जा सकता है।
फल और सब्जी
थायरॉयड के रोगियों को फलों और सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। फल एवं सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जिससे थायरॉयड का लेवल ठीक रहता है। सब्जियों में टमाटर और हरी मिर्च का सेवन करें।
अदरकः
अदरक पौटैशियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक खनिजों से समृद्ध है और inflammation से निपटने में मदद करता है। चाय में अदरक लेना सबसे आसान है, या अदरक की चटनी बनाकर भी खा सकते है।
एलोवेरा अमरता का पौधा The Plant of Immortality)
थायरॉयड को ठीक करने के लिये यह आवश्यक होता है कि थायरॉयड ग्रथि को Detoxify किया जाय। एलोवेरा के पौधे में 20 भिन्न-भिन्न प्रकार के खनिज होते हैं 8 प्रकार के अमीनो एसिडस होते है और 12 प्रकार के विटामिन्स होते हैं। यह सभी पदार्थ मिलकर थायरॉयड ग्रथि को Detoxify करते हैं। और थायरॉयड ग्रथि के नार्मल फंक्शन को बढ़ाते हैं। इससे थायरॉयड ग्रथि में आयी कोई भी कमी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। जो शरीर के जहरीले पदार्थों को बाहर निकाल देते हैं, हैवी मेटल्स को कोशिकाओं से बाहर निकाला जायें।
प्रातःकाल उठने के बाद सर्वप्रथम आप एलोवेरा का सेवन करिये। अगर सम्भव हो तो एलोवेरा का पौधा घर पर लगा लें। एक पत्ते का सफेद गूदा निकाल कर प्रतिदिन खाली पेट खाइये। एलोवेरा का कोई स्वाद नहीं होता है। अगर पौधा नहीं लगा सकते तो किसी अच्छी कम्पनी का ले आइये। 15 से 25 एम.एल. को पानी में मिला कर प्रतिदिन सेवन कर दीजिये। ऐसा करने से थायरॉयड ग्रन्थि में धीरे-धीरे आराम मिल जायेगा और सही से कार्य करने लगेगी। एक दिन आप पूर्णतः स्वस्थ हो जायेंगे।
विटामिन बी-12
थायरॉयड से लड़ने में विटामीन की भी बहुत बड़ी भूमिका है। विटामिन बी-12 हाइपोथायराडिज्म से पीड़ित व्यक्तियों की मदद करने में बहुत सहयोग करता है। विटामिन बी-12 के स्रोत हैं- अंडे, मांस, मछली, फलियां, अखरोट अपने आहार में प्रतिदिन शामिल कर लें तो थायरॉयड में लाभ होगा।
नारियल का तेल
नारियल के तेल में कुछ फैटी एसिड होते हैं। जो थायरॉयड की ग्रन्थि के सुचारू संचालन में सहयोग करते हैं। नारियल का तेल वजन नियत्रंण करने में जहॉं एक ओर सहयोग करता है। वहीं दूसरी ओर हमारा मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ-साथ शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। नारियल का तेल हम अपने खाने में भी शामिल कर सकते हैं।
बादामः- बादाम थायरॉयड सबसे उपयुक्त है। यह प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। क्या आप सब जानते हैं कि बादाम में सेलेनियम होता है जो थायरॉयड के लिये एक हैल्थी पोषण है। मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जिससे थायरॉयड ग्रन्थि में आराम मिलता है।
मुलेठी
थायरॉयड से पीड़ित व्यक्ति के शरी में हर वक्त थकावट रहती हैं। थायरॉयड से पीड़ित व्यक्ति को मुलेठी का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूदा तत्व थायरॉयड ग्रन्थि को जहॉं एक ओर संतुलित करते हैं साथ ही आपके शरीर में थायरॉयड के कारण जो Side Effects हुये है और उनको दूर करती है। मुलेठी आपके पाचन को दुरूस्त रखती है और आपके पाचन को ठीक रखती है साथ ही आपके लीवर का भी खयाल रखती है। मुलेठी पेट के एसिड को ठीक रखती हैए पेट की जलन को शान्त करती हैए पेट के अल्सर को ठीक करती है। बढे हुये कोलेस्ट्राल लेवल को ठीक करती है। इसके खाने से आपकी आवाज भी कोयल जैसे मधुर हो जायेगी। थायरॉयड होने के कारण हमारी आवाज कर्कश हो जाती है।
योगासन एवं प्राणायाम से
थायरॉयड का इलाज आप प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में योगासन एवं कुछ सूक्ष्म प्राणायाम करके इसको नियंत्रित कर सकते हैं।
उज्जयी प्राणायाम . के आश्चर्यजनक लाभ देखे गये हैं। दिन में कम से एक बार अवश्य करना चाहिए। इसे करने से आप थायरॉंयड को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
अगर सम्भव हो तो कुछ योगसान की मदद से से भी हम थायरॉयड को कन्ट्रोल कर सकते है जैसे. उष्ट्रासन, मत्स्यासन, भुजंगासान, सर्वांगासन, हलासन, पवनमुक्तासन आदि। इसमें से जो भी जितना भी अपनी क्षमता के अनुसार कर सकते हैं करें। अगर आपको बैंठने उठने में परेशानी है तो आप मात्र उज्जयी प्राणायाम ही करिये।
निष्कर्ष
- सम्भव हो तो वसायुक्त भोजन लेेें।
- भोजन में फाइबर की मात्रा जरूर हो। साथ ही कोशिस करें कि मिनरल्स, विटामीन युक्त आहार लें।
- प्रतिदिन फल (अनानास, संतरा, सेब, अंगूर का रस) हरी सब्जियों का सेवन करें। क्योंकि फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायरॉयड को बढ़ने से रोकता है। सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च, पत्तागोभी, गाजर, चुकन्दर आदि सब्जियों का सेवन करें।
- आयोडीनयुक्त नमक का प्रयोग करें।
- गाजर में भरपूर मात्रा में विटामीन-ए पाया जाता है। इसको भी खा सकते हैं।
- दूध और दही युक्त भोजन करना चाहिए।
- साबुत अनाजों का प्रयोग करें। फाइबर, प्रोटीन एवं विटामिन्स का खजाना होता है इन सबमें।
- जिन ड्राई फ्रूटस में कॉपर की मात्रा हो उनका सेवन करें जैसे-बादाम, काजू आदि।
- मुलेठी खाने से भी थायरॉयड ग्रन्थि को संतुलित करती है।
थायरॉयड में कैसी जीवन शैली अपनायें
कोशिस करें कि आपकी जीवन शैली तनाव रहित हो। अपनी दिनचर्या का एक टाइमटेबिल बनाइयें। सम्भव हो तो प्रतिदिन उज्जयी प्राणायाम, योगासन अवश्य करें। जंकफूड, डिब्बा बंद फूड खाने से बचें, ध्रमपान, मदिरा का सेवन न करें।
डिस्क्लेमर -यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिये हैं। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। अधिक जानकारी के लिए सदैव अपने डाक्टर से परामर्श लें।
नोट – उपरोक्त आर्टिकल में सभी इमेज Canva से ली गयी हैं, बहुत बहुत आभार ।
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