Health & Beauty

Benefits of Neem Leaves – नीम की पत्ती के फायदे

Benefits of Neem Leaves – नीम को हम सब उसके कड़वेपन के कारण जानते हैं। नीम की पत्ती के फायदे ही फायदे हैं। नीम के अन्दर वो क्षमता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इसलिए इसको सर्वरोग निवारिणी मतलब सभी लोगों का इलाज करने वाला। इसको ‘‘अरिष्ठा’’ के नाम से भी जाना जाता है। अरिष्ठा का मतलब होता है सभी बीमारियों में राहत देने वाला। नीम के एक पत्ते में 150 से ज्यादा रासायनिक गुण है। नीम को एंटीबैक्टिरियल पेेड़ के नाम से जाना जाता है। नीम का यदि हम प्रतिदिन सेवन करें तो यह हमें हजारों रोगों से बचा सकता है। नीम का सेवन हमें सुबह खाली पेट करना चाहिए।

नीम की जड़ो से लेकर फूल का उपयोग विभिन्न औषधियों को बनाने में होता है। नीम के पाऊडर में कार्बनिक की एक अनूठी संरचना होती है। इसलिए नीम को अधिकांशतः हर्बल उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है। त्वचा सम्बन्धी समस्याओं में नीम रामबाण औषधि है। नीम का प्रत्येक हिस्सा औषधि के लिये इस्तेमाल किया जाता है।

Content of Neem – नीम के लाभ

  • बालों का गिरना, झड़ना, फोडे़, फुंसी, जुओं में लाभकारी
  • कैंसर में लाभकारी
  • सिरदर्द में लाभकारी।
  • ऑखों के रोगदर्द, खुजली, लाली, सूजन आदि में लाभकारी
  • नकसीर (नाक से खून आना)
  • कान से पीप निकलना, बहना आदि रोगों में लाभकारी
  • दॉतो के समस्त रोगो-मुॅह में छाले, दुर्गन्ध में लाभकारी।
  • पेट के कीड़ो में, एसिडीटी, दर्द, दस्त, उल्टी आदि में लाभकारी
  • पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने, बैक्टीरिया को मारने में लाभकारी
  • डायवीटिज में लाभकारी
  • किडनी की पथरी में लाभकारी
  • घाव में लाभकारी
  • त्वचा सम्बन्धी रोगों में लाभकारी।

नीम के इतने गुणाों के कारण इसे धरती का कल्पवृक्ष भी कहा गया है। हम अधिकांशतः शार्टकट अपनाने के चक्कर में रहते है कुछ भी बीमारी हो जाये तुरन्त एलौपैथिक इलाज के लिये भाग पड़ते हैं। एलौपैथी का जो मकड़जाल है, हमें हमारी परम्पराओ, संस्कृति से दूर करने के साथ-साथ हमारी परम्परागत चिकित्सा पद्धति से दूर कर रहा है।

नीम की छाल, पत्ते एवं बीज के चमत्कारिक लाभ आयुर्वेद में बताये गये है। जड़, फूल और फल का भी उपयोग किया जाता है।

बालों को काला करने में लाभ

नीम के बीजों को भांगरा के रस तथा असन पेड़ की छाल के काढ़े में भिगो कर छाया में जब तक सुखायें तब तक अच्छी तरह ना सूख जायें। इसके बाद इनका तेल निकालकर नियमानुसार 2-2 बूॅंद नाक में डाले। इससे असमय सफेद हुये बाल काले हो जाते हैं।

नोट- इस प्रयोग के समय केवल दूध और पके हुये चावल ही भोजन में खायें।

बालों को गिरने, झड़ने में लाभ

नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा हो जाने दें इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं, बालों का गिरना या झड़ना रूक जाता है। इसके अतिरिक्त सिर के अन्य रोगों में भी लाभप्रद होगा।

नीम के पत्तों का एक भाग तथा बेर पत्ता एक भाग को अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1-2 घंटे बाद धो डालेें। इससे भी बाल काले, लंबे और घने होते हैं।

बालों में फोड़े, फुॅंसी में लाभकारी– सिर में बालों के बीच छोटी-छोटी फुंसिया हो, उनमें पीप निकलता हो या केवल खुजली होती हो तो नीम का प्रयोग करें। नीम के पत्तों के काढ़े से धोकर प्रतिदिन नीम का तेल लगाते रहें।

बालों की जुओं में लाभकारी –नीम के बीजों को पीसकर लगाने से अथवा नीम के पत्तोे के काढ़े से सिर धाने से बालों की जुएं और लीखे मर जाती है।

सिर दर्द में लाभ

सूखे नीम के पत्ते, काली मिर्च और चावल को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। सूर्योदय से पूर्व सिर के जिस हिस्से में दर्द हो, उसी ओर की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी भर नाक में डालें। इससे आधी शीशी के दर्द यानी माइग्रेन में जल्द लाभ होगा। साथ ही नीम के तेल को माथे पर लगाने से सिर दर्द ठीक होता है।

ऑखों के रोगों में लाभ

ऑखों की सूजन, दर्द – यदि ऑखों के उपर सूजन के साथ दर्द हों अन्दर खुजली होती तो नीम क पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सेंधा नमक मिला लें। इसे हल्का गर्म कर लें। एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर ऑखों पर बॉंधे। 2-3 दिन में ऑखो का यह रोग दूर हो जाता है। इस ठंडे पानी एवं ठंडी हवा से ऑखो को बचाना चाहिए। वैसे अगर इस प्रयोग को रात में करें तो बेहतर होगा।

अन्य रोगों में लाभ

  • खून को साफ करता है।
  • फंगस, वायरस, बैक्टीरिया से लड़ने के अद्भुत क्षमता होती है।
  • कुष्ट रोगों में नीम का प्रयोग किया जाता है।
  • हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोग में लाभकारी।
  • बुखार, ज्वर में लाभप्रद।

नकसीर (नाक से खून आना)

नीम की पत्तियां और अजवायन को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे कनपटियों पर लेप करने से नाक से खून बहना यानी नकसीर बन्द हो जाती है।

कान के रोगों में लाभ

कान का बहना-नीम के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में शहद मिला लें। इसकी 2-2 बूॅद सुबह-शाम कान में डालने से लाभ होता है। इसके प्रयोग से पूर्व कानों को अच्छी तरह साफ कर लें।

कान से पीप निकलता -हो तो नीम के तेल में शहद मिला लेें। रूई की बत्ती भिगोकर कान में रखने से लाभ मिलता है।

कान का बहना- नीम का तेल 40 मिली, 05 ग्राम मोम, आग पर गर्म करें। मोम गल जाने पर उसमें फुली हुई फिटकरी का 750 मिग्रा चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में रख लें। इस मिश्रण की 3-4 बॅूद दिन में दो बार डालने से कान का बहना बन्द हो जायेगा।
नीम के पत्ते 40 मिली रस को 40 मिली तिल के तेल में पकाएं। तेल मात्र शेष रहने पर छान कर 3-4 बूॅद कान में डाले। ऐसा करने से भी कान बहना बन्द हो जायेगा।

दॉतो के समस्त रोगों में लाभ

प्राचीन काल से दॉतो को साफ करने के लिये नीम की दातुन का प्रयोग किया जाता है। प्रतिदिन नीम की दातून करने से दॉत सम्बन्धी रोग नहीं होते हैं।

मूॅह में छाले, दुर्गन्ध आना, जी का मिचलाना, दॉतो से खून गिरना- नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम, सोना गेरू, 50 ग्राम सेंधा नमक, 10 ग्राम, इन तीनों का मिला कर खूब महीन पीस लें। इसे नीम के पत्ते के रस में भिगो कर छाया मे सुखा दें। ऐसा कम से कम 3 बार करे। अच्छी तरह से सुखा कर एक शीशी में रखलें। इस चूर्ण से दॉतो को मंजन करने दॉतों से खूना गिरना, पीप निकलना, मुॅह में छाले पड़ना, मुॅह से दुर्गन्ध आना, जी का मिचलाना आदि रोग दूर होते हैं।
100 ग्राम नीम की जड़ को कूट कर आधा लीटर पानी में एक चौथाई शेष रहने तक उबालें। इस पानी से कुल्ला करने से दांतो के अनेक रोग दूर होते हैं।

पेट के कीड़ो में लाभकारी- नीम की छाल, इन्द्र जौ और वायबिंडग को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 1.5 मात्रस में चौथाई ग्राम भुनी हींग मिला लें। इस मिश्रण को मधु शहद में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
बैंगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
नीम के पत्तों का रस निकालकर 5 मिली में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

एसीडिटी में लाभकारी- नीम की सींक, धनिया, सोंठ और शक्कर सभी 6-6 ग्राम को एक साथ मिला लें। इसका काढ़ा बनाकर सुबह शाम पीने से खट्टी डकारें, अपच तथा अत्यधिक प्यास लगने की समस्या दूर होते हैं।
पित्त यानी एसीडिटी के कारण होने वाले बुखार में भी यह प्रयोग लाभकारी हैं।

पेट दर्द में लाभदायक- 40-50 ग्राम नीम की छाल को जौ के साथ कूटकर 400 मिली जल में पकाएं व इसमें 10 ग्राम नमक भी डाल दें। आधा शेष रहने पर गुनगुना कर पिलाने से पेटदर्द में आराम होता है।

दस्त में लाभदायक – नीम की 50 ग्राम अंदर की छाल को मोटा कूट कर 300 मिली पानी में आधा घंटे उबालकर छान लें। इसी छनी हुई छाल को फिर 300 मिली पानी में उबालें। 200 मिली शेष रहने पर छानकर शीशी में भर लें और इससे पहले छना हुआ पानी भी मिला लें। इस पानी को रोगी को 50-50 मिली दिन में 3 बाद पिलाने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

ऑव वाले दस्त में लाभदायक 125-250 मिग्रा. नीम की अंदर की छाल की राख को 10 मिली दही के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे ऑव वाले दस्त में लाभ मिलता है।
प्रतिदिन सुबह 3-4 पकी निबोलियां खाने से खूनी पेचिश ठीक होती है तथा भूख खुल कर लगती है।
10 ग्राम नीम के पत्ते के साथ 175 ग्राम कपूर मिलाकर लें। इसे पीसकर सेवन करने से हैजा में लाभ मिलता है।

उल्टी में लाभकारी –नीम की 7 सीकों को 02 बड़ी इलायची और 5 कालीमिर्च के साथ महीन पीस लें। इसे 250 मिली पानी के साथ मिलाकर पीने से उल्टी बन्द होती है।
5-10 मिग्रा नीम की छाल के रस में शहद मिला पिलाने से उल्टी तथा अरूचि आदि में लाभ होता है।
8-10 नीम के कोमल पत्तों को घी में भूनकर खाने से भोजन से होने वाली अरूचि दूर होती है।

किडनी की पथरी में लाभ

नीम के पत्तो की 500 मिग्रा. राख को कुछ दिनों तक लगातार जल के साथ सेवन करें। इसे दिन में 3 बार खाने पथरी टूटकर निकल जाती है।
2 ग्राम नीम के पत्तो को 50 से 100 मिली तक पानी में पीस छानकर डेढ़ माह तक पिलाते रहने से पथरी ठूटकर निकल जाती है। इसे सुबह, दोपहर एवं शाम को लें।

घाव में लाभ

हमेंशा बहते रहने वाले जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार घो लें । इसके बाद नीम के छाल की राख उसमें भर दें। 7-8 दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है।
आग से जले हुये स्थान पर नीम के तेल को लगाने से शीघ्र लाभ होता है साथ ही जलन भी शांत होती है।

त्वचा के रोगों में लाभ

नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी 10-110 ग्राम को अलग-अलग नीम के ताजे पत्ते के रस में पीस लेे। इसे अच्छी तरह से मिला लें। मिलाते समय ऊपर से पत्तों का रस डालते जायें। जब मिलकर उबटन की तरह हो जाये तब प्रयोग में लायें। यह उबटन खुजली, दाद, वर्षा तथा गर्मी में होने वाली फुंसियों, पित्त निकलना तथा शारीरिक दुर्गन्ध आदि त्वचा के सभी रोगों को दूर करता है।

नीम से होने वाले नुकसान

  • यदि आप व्रत करते हैं तो नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलायें अथवा स्तनपान करा रही महिलायें को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नीम शुगर लेवल को कम करता है इसलिए यदि आप व्रत करते हैं तो नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नीम के अधिक सेवन से मुंह का स्वाद खत्म हो जाता है।
  • बाल धोते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नीम आपकी आंखों में ना चला जाए क्योंकि इससे आपकी आॉंखों में जलन हो सकती है।

अस्वीकरण – यह लेख मात्र सामान्य जानकारी के लिये है। यह किसी भी तरह का दवा या इलाज का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिये हमेंशा अपने चिकित्सक से सम्पर्क करें

फोटो आभार-कैनवा एवं pixabay।

Read more

yoghealthbeauty

Hello Welcome to my Yog, Health and Beauty blog! My name is ANJANA, and I'm passionate about finding the best natural solutions for our daily health and beauty needs. With a background in beauty therapy and nutrition, I'm excited to share my insights, tips, and tricks with you to help you achieve an all-around healthy lifestyle. I believe in the power of natural ingredients and the benefits they provide for our health and wellbeing. I'm constantly researching and exploring different health and beauty practices from around the world to provide my readers with the most optimal and effective ways to care for themselves. My aim in this blog is to give you practical advice on how to maintain a healthy lifestyle, including tips on nutrition, skincare, fitness, stress management, and more. I'm here to help you feel confident, empowered, and beautiful in your own skin. So, whether you're looking to improve your skincare routine, boost your energy levels, or find natural remedies for common health issues, you're in the right place. Join me on this journey to discover the best health and beauty practices that work for you.

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button