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PCOD मासिक धर्म, मोटापे एसिडिटी, कब्ज का जानी दुश्मन धनुरासन के लाभ इन हिन्दी – Benefits of Dhanurasana in Hindi

धनुरासन के लाभ (Benefits of Dhanurasana)धनुरासन नाम तो एक है लेकिन इसके लाभ अनगिनत है। आप कह सकते हैं आसन एक और लाभ अनेक। PCOD, मोटापे, एसीडीटी, कब्ज, नाभी का हटना आदि अनेक रोगों में लाभप्रद धनुरासन है। आजकल मोटापे एसिडीटी की समस्या से हर कोई परेशान है। एक ही रामबाण इलाज है धनुरासन। एसीडिटी का दुश्मन है धनुरासन ।

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धनुष अर्थात धनु-धनुष धनुषी आकार के कारण धनुरासन, इसमें शरीर की आकृति तने हुये धनुष के समान होती है इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। आज हम आपकों बतायेंगें धनुरासन के लाभ और इसमें बरतने वाली सावधानियों के बारे में। धनुरासन के लाभ ही लाभ हैं। इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है और हड्डियों मांसपेशियों का तापमान बढ़ाता है। धनुरासन करने से शरीर की आकृति धनुष के समान दिखाई देती है। रीढ़ की हड्डी में लचीलापन लाने में भी धनुरासन मददगार है। धनुरासन करने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। ये मधुमेहए कमर दर्द से राहत दिलाने में व जांधो की मांसपेशियो को मजबूत करने में लाभकारी होता है। धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन क्रम में किये जाते हैं। अतः इसे योगासनत्रयी भी जाना जाता है।

धनुरासन Content

  1. क्या है धनुरासन
  2. धनुरासन के लाभ
  3. धनुरासन करने की विधि
  4. धनुरासन में सॉसों का क्रम कैसा हो
  5. धनुरासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियॉ

क्या है धनुरासन

धनुरासन को धनुष आसन या धनुषासन (Bow Pose) भी कहा जाता है। इस आसन को करने के दौरान शरीर धनुष के जैसा आकार बनाता है। धनुरासन को हठ योग के 12 मूल आसनों में से एक माना जाता है। ये आसन योग विज्ञान में पीठ में स्ट्रेचिंग या खिंचाव पैदा करने के लिए बताए गए प्रमुख तीन आसनों में एक है। इस आसन के अभ्यास से पूरी पीठ को बढ़िया खिंचाव मिलता है। इस आसन के अभ्यास से कमर में लचीलापन बढ़ता है और कमर मजबूत होती है।

धनुरासन के लाभ (Benefits of Dhanurasana)

  • अपच मधुमेह में लाभप्रदर है।
  • मासिक धर्म PCOD की अनियमितताओं के उपचार में लाभप्रद है।
  • नुपंसकता में लाभप्रद है।
  • धनुरासन से सम्पूर्ण भोजन नली में सुधार होता हैं ।
  • वक्र और मूत्र संस्थान को मजबूत करता है ।
  • शरीर की अतिरिक्त चर्बी मोटापे को हटाता है शरीर को सुन्दर और सुडौल बनाता है।
  • नाभि का डिगना, अर्थात नाभि का अपनी मूल स्थिति से हटकर इधर .उधर चले जाना। नाभि स्थानान्तरण को दुरूस्त करता है।
  • पाचन क्रिया को ठीक करता है। मल निष्कासन प्रणाली एवं प्रजनन अंगो के कार्यों में सुधार होता है।
  • यह कब्ज तथा पित्त और वायु विकार दूर करता है।श्वांस सम्बन्धी रोगों का को को ठीक करता है।
  • गुर्दो में मजबूती आती है।
  • यह मेरूदण्ड के वक्षीय क्षेत्र के कुबड़ेपन को ठीक करता है।
  • एसिडीटी को दूर करता है।
  • डायवीटिज शुगर में लाभप्रद है।
  • मानसिक रूप से मजबूती देता है।
धनुरासन के लाभ (Benefits of Dhanurasana)
Benefits of Dhanurasana

धनुरासन करने की विधि

  • पेट के बल सीधा लेट जाये। दोनों पैर औ पंजे एक साथ रहें, भुजाए और हाथ शरीर के बगल में रहें।
  • घुटनों को मोड़े और एड़ियों को नितम्बों के पास ले आयें।
  • टखनों को हाथ से पकड़ लें।
  • ठुड्डी को जमीन पर रखे। यह प्रारम्भिक स्थिति है।
  • पैरों की पेशियों को ताने और पंजो को शरीर से दूर ले जाने का प्रयास करें।
  • दोनों जॉघे वक्ष तथा सिर को एक साथ ऊपर उठाते हुये पीठ को घनुषाकार बनायें।
  • भुजाओं को सीधा रखें।
  • नोट अन्तिम स्थिति में सिर पीेछे की ओर झुका रहेगा और सम्पूर्ण शरीर केवल उदर के सहारे जमीन पर रहेगा। पेशीय संकुचन केवल पैरो में होगा। पीठ एवं भुजायें ढीली रहेगी।
  • अन्तिम स्थिति में जितनी देर आराम की स्थिति में रहें, रह सकते हैं। उसके बाद धीरे धीरे पैरों की पेशियों को शिथिल करते हुये पैर, वक्ष और सिर को नीचे प्रारम्भिक स्थिति में लायें।
  • आसन को समाप्त कर पेट के बल लेटे हुये तब तक विश्राम करें जब तक सॉंसे सामान्य न हो जाये।
धनुरासन करने की विधि
धनुरासन करने की विधि

धनुरासन में सॉसों का क्रम कैसा हो

  • प्रारम्भिक स्थिति गहरी सॉस अन्दर लें।
  • शरीर को ऊपर उठाते हुये सॉंस रोके।
  • अन्तिम स्थिति में सॉंस अन्दर रोंके रखे या धीमी, गहरी सॉस लें, जिसमें कि शरीर धीरे धीरे सॉंस की गति के साथ आगे पीछे झूले।
  • शरीर की प्रारम्भिक स्थिति नीचे लाते हुये सॉस छोड़े।

धनुरासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियॉं

  • जल्दी करने का प्रयास ना करें। गर्भवती महिलाएं भी इस आसन का अभ्यास न करें।
  • इसको खाली पेट करना चाहिए।
  • हृदय विकास उच्च रक्तचाप हर्निया आन्त्र रोग अम्ल पित्त विकास अल्सर वाले रोगी ना करें।
  • कमर दर्द आदि रोगों में इस अभ्यास को ना करें।

नोट – धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन क्रम में किये जाते हैं। अतः इसे योगासनत्रयी भी जाना जाता है।

धनुरासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियॉं
धनुरासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियॉं

शलभासन

शलभासन पीठ के नीचले हिस्से को मजबूत बनाता है।
पीठ में दर्द, हल्के सायटिका तथा स्लिप डिस्क में आराम पहुॅंचाता है।
यह लीवर, आमाशय, ऑंतो में सुधार तथा भूख बढ़ाता है।
नितम्बों की मॉंसपेशियों में कसाव आता है।

डिस्क्लेमर – यह आर्टिकल सलाह सहित केवल सामान्य जानकारी के लिये है। अधिक जानकारी के हमेंशा किसी विशेषज्ञ अथवा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

Note – Image Credit – Canva & Google

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